Wednesday, June 11, 2014

Pakistan and Terrorism पाकिस्तान और आतंकवाद

डॉ. रशीद अहमद खान

3 जून, 2014

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी स्कॉटलैंड यार्ड ने एम.क्यू.एम. के पूर्व नेता डॉ. इमरान फारूक के कथित हत्यारों के नाम और उनके स्केच जारी किए हैं और साथ ही दावा किया है कि उनकी सूचना के अनुसार ये दोनों आरोपी पाकिस्तान में हैं। इन तक पहुँचने के लिए ब्रिटिश अधिकारी पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। हत्या या आतंकवाद जैसे अपराधों के दोषी लोगों के पाकिस्तान में पाए जाने के बारे में ये एकमात्र या पहला आरोप नहीं है इसके अलावा भी इस बारे में कई लोगों के नाम लिए जाते रहे हैं। क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है? हिंसा और आतंकवाद न तो हमारे इतिहास का हिस्सा है और न ही हमारा धर्म इसकी इजाज़त देता है। हमारी धरती तो रहमान बाबा, मियां मोहम्मद बख्श, शाह हुसैन, सुल्तान बाहू, बुल्ले शाह, शहबाज़ क़लंदर और शाह अब्दुल लतीफ भटाई के उदार और प्यार भरे शब्द से गूंजती है। फिर पाकिस्तान पर आतंकवादियों और हत्यारों की आश्रय स्थली होने का आरोप क्यों लगाया जाता है। क्या ये प्यार भरे गीतों से गूंजती है। क्या ये पाकिस्तान के दुश्मनों की सोची समझी साज़िश है जिसका मकसद देश को बदनाम करना या वास्तव में हम अपने हालात से इतने बेखबर हैं या कुछ कारणों की वजह से बेबस हैं कि यहां जो भी आए और जहां से भी आए, बिना डर और जोखिम के अपने एजेंडे पर अमल करने और अपनी गलत गतिविधियों को जारी रखने के लिए आज़ाद है। न तो उनके लिए सीमाओं पर रोक थाम का कोई इंतेज़ाम है और न ही देश में उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी जाती है। परिणाम के रूप में देशवासियों को विभिन्न आरोपों का सामना करना पड़ता है और दुनिया में पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद के केंद्र (Epi-Centre of Terrorism) के रूप में स्थापित की जा रही है। जैसे हमारे पड़ोसी देश भारत को विश्वास है कि 1990 के दशक में मुंबई में हुए बम धमाकों में शामिल दाऊद इब्राहिम ने पाकिस्तान में शरण ले रखी है।




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