Tuesday, June 10, 2014

इसमें शक नहीं कि पाकिस्तान कठिन दौर से गुज़र रहा है और इसके दुश्मनों की संख्या बहुत अधिक बढ़ चुकी है लेकिन आज भी देश और इसके ज़िम्मेदारों के पास एक मौका है कि वो राज्य के अस्तित्व की इच्छा रखने वालों और राज्य की मौत चाहने वालों में भेद करें। वो कौन तत्व हैं जो राज्य को तोड़ देना चाहते हैं और इसके बाद अपनी इच्छा के अनुसार इसका पुनर्गठन चाहते हैं। जो विश्वास और सिद्धांतों के आधार पर अपने से अलग और विरोधियों का नरसंहार चाहते हैं ताकि बाद में इन्हें अपनी विचारधारा के अनुसार सब कुछ ढालने में किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। जो समूह और दल राज्य के भीतर अपना राज्य स्थापित कर चुके हैं इनसे ताल्लुकदारी क्या पाकिस्तान और इसके ज़िम्मेदारों के लिए सूदमंद है? इस तरह के अनगिनत सवाल जन्म लेते हैं जिनका आज हमारे पास कोई असरदार जवाब नहीं क्योंकि दुर्भाग्य से हम ने जहाँ तक सम्भव है कोशिश कर पाकिस्तान को ऐसे लोगों के रहमो करम पर छोड़ दिया है जो आज राज्य से अधिक ताक़तवर हैं और इनका विचार पाकिस्तान को दुनिया भर में अकेला कर चुका है।
http://newageislam.com/hindi-section/d/87450

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