Tuesday, June 17, 2014

पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से होने वाली एक मुलाक़ात में उन्होंने पाकिस्तान उलमा काउंसिल के प्रतिनिधिमंडल से वादा किया था कि वो देश में शांति के लिए अंतर्धार्मिक और अंतर्पंथीय सहिष्णुता के लिए हर तरह के उपाय करने को तैयार हैं और नेशनल कांफ्रेंस में धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री सरदार मोहम्मद यूसुफ और संघीय कानून और सूचना मंत्री परवेज़ रशीद ने भी इस बात को दोहराया है कि आचार संहिता और दूसरे मामलों पर कानून बनाने के लिए वो पाकिस्तान उलेमा काउंसिल और इस कांफ्रेंस के प्रस्तावों को हर हाल में महत्व देंगे। इस कांफ्रेंस का उद्देश्य निश्चित रूप से ये नहीं था कि देश भर के चुने हुए लोग लोग मिल बैठें, अच्छा अच्छा भाषण करें और चले जाएं। इस कांफ्रेंस में 16 अप्रैल को कराची में स्थापित की जाने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के गठन पर भी विचार किया गया और इंशाअल्लाह रमज़ान के अंत में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद केंद्र और राज्य स्तर पर स्थापित कर दी जाएगी और इंशाअल्लाह इसका दायरा शहरों और गांवों तक बढ़ाया जाएगा ताकि विभिन्न पंथों और धर्मों के लोग आपस में उलझने के बजाय मामलों को स्थानीय स्तर पर ही हल कर सकें।



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