Thursday, June 12, 2014

इस्लाम के पुनरुद्धार आंदोलन के नेतृत्वकर्त्ता तत्व समझते हैं कि मुसलमानों की तकलीफों का समाधान इस्लाम को ज़िंदा करने में है हालांकि ये भी सच है कि इस्लाम तो ज़िंदा मौजूद है। मौलाना मौदूदी और सैयद कुतुब ने शताब्दियों से बढ़ती समस्याओं का कारण ये बताया कि मुसलमान धर्म की मूल भावना से अनजान हो गए हैं। न जाने क्यों इन दोनों चिंतकों ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार नहीं किया कि पहली पीढ़ी के मुसलमान यानी पैगम्बर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से प्रशिक्षण पाने वाले सहाबा और आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के हाथ पर बैअत करने वाले आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के इंतेक़ाल के कुछ दिन बाद विद्रोह, स्वधर्म त्याग और गृहयुद्ध की स्थिति का शिकार क्यों हो गए जबकि उनके धार्मिक स्तर पर संदेह नहीं किया जा सकता फिर कुछ साल और बीत जाने के बाद शहादत उस्मान रज़ियल्लाहू अन्हा और मुसलमानों के स्थायी विभाजन की त्रासदी पैदा हुई, दो इस्लामी केंद्र स्थापित हुए, विरासती बादशाहत आई और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के परिवार का क़त्ले आम हुआ।



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