Wednesday, April 23, 2014

The Forgotten Inheritance of Maulana Abul Kalam Azad मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की भूली बिसरी विरासत

एस. इरफान हबीब
22 फरवरी 2014








मौलाना आज़ाद ने 19वीं सदी के अंत में अपनी शिक्षा के संदर्भ में शैक्षिक व्यवस्था और पाठ्यक्रम पर व्यापक टिप्पणियाँ की थीं। ऊपर 1955 की एक तस्वीर में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, सैयद महमूद और कैलाश नाथ काटजू के साथ (बीच में) मौलाना आज़ाद
मौलाना आज़ाद का इस्लाम समकालीन कठोर और लड़ाकू इस्लाम के मुकाबले में बहुत अधिक उदार था।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का निधन 22 फरवरी 1958 को हुआ था। ये सिर्फ एक असाधारण इंसान की मृत्यु नहीं थी बल्कि एक विचारधारा की मौत थी जिसने कई दशकों तक लोगों को रास्ता दिखाया- ये अविभाजित हिंदुस्तान की एक विचारधारा थी जिसमें हिन्दू बहुमत के साथ मुस्लिम खुशी खुशी रह सकें। मुसलमानों ने सदियों पहले भारत को अपना घर बनाया और मौलाना आज़ाद के अनुसार भारतियता के विचार में मुसलमानों की बहुत बड़ी हिस्सेदारी थी। लेकिन मौलाना आज़ाद की विचारधारा को 1947 में उस समय झटका लगा जब बँटवारे की हिंसा ने भारत को तबाह कर दिया। मौलाना आज़ाद ने नये भारत को लगे ज़ख़्म और चोट के उपचार और देश के पुनर्निर्माण में दस साल औऱ बिताए। 
 

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