Islam and Old Age Ethics इस्लाम और बुज़ुर्गों के साथ व्यवहार
ऐमन रियाज़ , न्यु एज इस्लाम
19 अप्रैल 2014
इंसान
वास्तव में मूर्ख है या फिर वो अहंकार में अंधा हो गया है? जब हम नौजवान
और ऊर्जावान होते हैं, इस ज़िंदगी के बाद आने वाला जीवन की बात तो छोड़ ही
दीजिए, हम शायद ही इनके बारे में सोचते हैं कि इस जीवन का अंत क्या होगा,
जब हम बूढ़े और बेकार हो जाएंगे और कहीं किसी कोने में पड़े होंगे, जब
परेशानी की स्थिति में रात के समय कोई साथ नहीं होगा, जब दिन में खाना और
पानी देने के लिए कोई नहीं होगा और यहाँ तक कि जब सुबह नित्यक्रिया के बाद
सफाई करने में कोई मदद करने वाला नहीं होगा। हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि
हम इस तथ्य से हास्यास्पद रूप से बेखबर हैं कि हमें इस बात का खयाल भी नहीं
है कि घर में एक और व्यक्ति भी मौजूद है।
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