Tuesday, April 8, 2014

Does The Quran Allow Wife- Beating? Not If Muslims Don't Want It To क्या कुरान बीवियों को पीटने की इजाज़त देता है? नहीं, अगर मुसलमान इसे नहीं चाहते हैं!





आयशा चौधरी
27 मार्च, 2014
मुसलमानों को घरेलू हिंसा को लेकर परेशानी है। मुझे साफ साफ कहने दें कि ज़्यादातर लोगों का मानना ​​है कि ये एक भयानक बात है। लेकिन परेशान करने वाला तथ्य ये है कि मुसलमानों के लिए ये दलील देना मुश्किल है कि सभी प्रकार की घरेलू हिंसा इस्लाम में वर्जित है। इसकी वजह ये है कि हमारी पवित्र किताब क़ुरान में एक आयत ऐसी है जिसकी व्याख्या पति अपनी पत्नियों की पिटाई कर सकते हैं, के रूप में की जा सकती है।  
ये आयत, सूरे 4 और आयत नम्बर 34 है जिसे ऐतिहासिक रूप से ऐसी आयत समझा गया है कि पति अपनी अवज्ञाकारी पत्नी को डाँट फटकार सकते हैं, उन्हें बिस्तरों में अकेला छोड़ सकते हैं और यहाँ तक कि उनकी पिटाई भी कर सकते हैं। ये आयत ऐसे आधुनिक मुसलमानों के लिए समस्या पैदा करती है जो लैंगिक समानता को मानते हैं और पिटाई की बात तो छोड़िए पति को अपनी पत्नियों को किसी भी तरह अनुशासित करने का अधिकार है, को नहीं मानते हैं। कोई सच्चा मुसलमान घरेलू हिंसा के खिलाफ बोले भी और बीवी की पिटाई की इजाज़त देने वाली आयत के प्रति वफादार भी रहे, ये दोनों कैसे हो सकता है?
नतीजा ये निकलता है कि इस समस्या का समाधान न केवल कुरान में है- बल्कि खुद इस आयत में हैं।
कई इस्लामी विद्वान बरसों से आयत 4: 34 की अहिंसक व्याख्याओं को पेश कर रहे हैं। इस आयत के गहरे अध्ययन से ये पता चलता है कि अगर किसी जोड़े को वैवाहिक जीवन में मुसीबतें पेश आती हैं तो सबसे पहले उन्हें उचित तरीके से इस मामले पर आपस में बातचीत करनी चाहिए। और अगर इससे समस्या हल नहीं होती है तो जोड़े को परीक्षण के तौर पर एक दूसरे से अलग रहना चाहिए। अगर ये परीक्षण नाकाम रहता है तो जोड़े को हमेशा के लिए अलग हो जाना चाहिए, लेकिन अगर इसमें सफलता मिलती है तो उन्हें फिर से साथ रहना चाहिए। ये वैकल्पिक व्याख्या कुरान के मूल अरबी पाठ के साथ सुसंगत है जो कई और सामन्य रूप से मान्य व्याख्याओं को करने में मदद करता है। 
 

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