Wednesday, March 26, 2014

This Is How Muslims Can Make Their Fate ऐसे बनेगी मुसलमानों की तक़दीर





डॉ. एम.आई.एच. फ़ारुक़ी
अमेरिका स्थित पिऊ रिसर्च सेंटर की हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में एक बिलियन और 570 मिलियन मुसलमान हैं. मतलब दुनिया का हर चौथा आदमी मुसलमान है. क्या इस रिपोर्ट में कुछ ऐसा है, जिस पर खुश हुआ जा सके? मेरे हिसाब से तो नहीं. अलबत्ता मुसलमानों के लिए यह एक विचारणीय बात है और उन्हें इस पर चिंतन करना चाहिए. दुनिया की चौथाई आबादी होने के बाद भी आज मुसलमान वैज्ञानिक-तकनीकी तौर पर पिछड़े हैं, राजनीतिक रूप से भी हाशिये पर हैं और आर्थिक रूप से बहुत ग़रीब. ऐसा क्यों है?
विश्व के सकल घरेलू उत्पाद, जो 60 ट्रिलियन डॉलर है, में मुसलमानों की भागीदारी केवल 3 ट्रिलियन डॉलर है, जो फ्रांस जैसे छोटे देश, जिसकी जनसंख्या 70 मिलियन है, से भी कम है और जापान के सकल घरेलू उत्पाद की आधी है तथा अमेरिका, जिसकी जनसंख्या 300 मिलियन है, के सकल घरेलू उत्पाद का पांचवां हिस्सा है. ऐसा क्यों है? यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि विश्व की 35 फ़ीसदी जनसंख्या ईसाई है, लेकिन यही 35 फ़ीसदी लोग विश्व की 70 फ़ीसदी धन-संपत्ति के मालिक हैं. 
 

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