Friday, March 28, 2014

Jihadist Magazine Azaan's Call for Western Muslims to Attack Their Own Homelands मुसलमानों को अपने ही देश पर आतंकी हमला करने के लिए प्रेरित करना- इस्लाम के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है






ग़ुलाम ग़ौस , न्यु एज इस्लाम
20 फरवरी, 2014
तालिबानी जिहादी अंग्रेज़ी मैग्ज़ीन अज़ान कहती है कि ''अगर आप पश्चिमी देशों में रहते हैं तो अपने ही देश पर हमला करें, ये आपकी धार्मिक ज़िम्मेदारी है, शहीदी आपरेशन (आत्मघाती बम धमाकों के लिए जिहादी छद्म नाम) निश्चित रूप से आपको जन्नत में ले जायेगा जहां 72 हूरें आपके गले लगने के लिए आपका इंतेज़ार कर रही हैं।''
ये अज़ान मैग्ज़ीन का चौथा अंक है और इसने मार्च, 2013 में अपना प्रकाशन शुरु किया। इस मैग्ज़ीन के खुरासान स्थित एक मीडिया समूह द्वारा प्रकाशित किये जाने का दावा किया जाता है, जो अफ़गानिस्तान के अलावा उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, ईरान के पूर्वी भागों, पाकिस्तान के पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे हिस्सों पर क़ब्ज़ा करने के तालिबानी सपनों को दर्शाता है। इस बड़े भूभाग का ऐतिहासिक नाम खुरासान है।
पिछले अंकों की तरह ही ये अंक भी इस्लाम के नाम पर ऐसे विचारों से भरा पड़ा है जो ज़हरीले इस्लाम विरोधी प्रोपगंडा से ज़्यादा कुछ नहीं है। दूसरी जिहादी मैग्ज़ीनों की ही तरह ये भी इस्लाम का सबसे अधिक अपमान करने वाली है जिसे पाकिस्तान बढ़ावा देता है और इसे प्रकाशित करने की इजाज़त देता है। इस तरह की मैग्ज़ीन में पेश किए गए विचारों का खंडन करने पर पाकिस्तान में न्यु एज इस्लाम (NewAgeIslam.com) पर प्रतिबंध है, और ये विचार दिनों दिन बढ़ावा पा रहे हैं। हालांकि इस वेबसाइट के एडिटर सुल्तान शाहीन ने सितम्बर 2013 में आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में माँग की थी कि इस्लाम के अपमान के बारे में किसी भी संकल्प पर उस समय तक विचार न किया जाए जब तक कि पहले इस्लाम को इस्लामी दुनिया में जिहादी साहित्य के द्वारा होने वाले अपमान से सुरक्षित नहीं कर लिया जाता है।
अज़ान मैग्ज़ीन के इस अंक को मिसाल के तौर लेते हुए मुझे ये स्पष्ट करने दें कि इस तरह की मैग्ज़ीन इस्लाम और मुस्लिम समाज और खासकर युवाओं को क्या नुकसान पहुँचा रही हैं। इस मैग्ज़ीन की सामग्री संवेदनशील मुस्लिम युवाओं को ये एहसास दे सकती है कि जैसे वो मारने के लिए या मरने के लिए पैदा हुए हैं, और अगर वो सच्चे मुसलमान हैं तो उनके लिए अपने जीवन का इससे अच्छा उद्देश्य कुछ हो ही नहीं सकता। और इस प्रकार ये उनके विश्वास के लिए नुकसानदेह है क्योंकि ये न लड़ने वाले नागरिकों सहित सभी काफिरों को मारने का औचित्य प्रदान करता है। यहां ये याद रखना महत्वपूर्ण है कि काफिर की जिहादी- वहाबी परिभाषा में गैर वहाबी मुसलमान भी शामिल हैं जिनके हृष्ट पुष्ट मर्दों को मार दिया जाना चाहिए, बूढ़े और बच्चों को गुलाम  और औरतों को जिहादियों की रखैल बनाया जाना चाहिए। 
 

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