Is Elimination of Terrorism Possible? (Part 2) क्या आतंकवाद का खात्मा सम्भव है? भाग 2
मुजाहिद हुसैन, न्यु एज इस्लाम
15 मार्च, 2014
इसमें
कोई आशंका नहीं रही कि राज्य पर क़ब्ज़ा करने के इच्छुक आतंकवादियों और
उनके समर्थकों का सफ़ाया कठिन लक्ष्यों में शामिल हो चुका है क्योंकि
पाकिस्तान में नागरिक और सैन्य सरकारों के खराब प्रदर्शन ने आम लोगों को
इतना नाखुश कर दिया है कि वो शिक्षात्मक सज़ा की कल्पना में राहत महसूस
करने लगे हैं। धार्मिक लबादा ओढ़े कट्टरपंथियों के बारे में ये भी माना
जाता है कि वो दरवेशों के जैसे इंसान हैं और उनका एक सूत्रीय दृष्टिकोण और
लक्ष्य ये है कि अल्लाह की ज़मीन पर अल्लाह का क़ानून पूरी ताक़त के साथ
लागू कर दिया जाए चाहे इसको हासिल करने के लिए जितने भी इंसानों का क़त्ल
किया जाए, कोई हर्ज नहीं।
मिसाल
के तौर पर पाकिस्तान में सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ के शासन को शुरूआत
में वैधता प्रदान करने वाली अदालत के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को
बाद में सार्वजनिक स्वीकार्यता सिर्फ इसलिए हासिल हुई कि वो कानूनी रणनीति
को अपनाने वाले लोगों और संस्थाओं को उल्टा लटका देंगे। बड़े अधिकारियों
को सज़ाए सुनाई जाएंगी और देश में न्याय का बोल बाला होगा, लोगों ने अपने
वंचित होन के पटाक्षेप को मुख्य न्यायाधीश के व्यक्तित्व से जोड़ दिया।
पूर्व चीफ जस्टिस से बांध ली जाने वाली उम्मीदों और उग्रवादियों की
शक्तिशाली संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ बेरहम हमलों के द्वारा बदला
लेने और सुधार के लिए अनगिनत इच्छा रखने वालों की प्रतिबद्धता एक समझ में
आने वाली स्थिति है।
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