Tuesday, February 11, 2014


Islamic Economy During Khilafat-e-Rasheda (Part 3) खिलाफते राशिदा के समय में इस्लामी अर्थव्यवस्था भाग 3

खुर्शीद अहमद फ़ारिक़
इराक और सीरिया पर सेना की तैनाती
अरब- इराक सीमा पर कई अरब क़बीले इराक में फ़ारस की सरकार की कमज़ोरी का फायदा उठाकर और अबु बकर सिद्दीक़ की खिलाफत के शुरुआती दौर में शाही घराने की एक औरत बूरान की ताजपोशी से और ज्यादा हौसला पाकर दक्षिण और दक्षिण पश्चिमी इराक में संघर्ष कर रहे थे। अबु बकर सिद्दीक़ ने उनकी हिम्मत को बढ़ाया और उनकी लड़ाई को मदीना की सरकार के अधीन बनाकर सेना और हथियारों से उनकी मदद की। सिद्दीकी सेना का नेतृत्व प्रसिद्ध क़ुरैशी जनरल ख़ालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहू अन्हा हाथ में थी। खालिद रज़ियल्लाहू अन्हा ने शत्तल अरब यानि दजला और फरात के महान डेल्टा, हेरा और इराक के उत्तर पश्चिमी सीमा के फ़ारसी शहरों में कई कामयाब हमले कर खूब माले ग़नीमत हासिल किया। मदाएन कसरा के बाद इराक में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा शहर हेरा था जहां सदियों तक इराक सीमा के अरब बादशाह फ़ारसी साम्राज्य के अधीन शासक थे। हेरा के अरब रईसों ने पैंतालीस या पचास हज़ार रुपये सालाना पर खालिद बिन वलीद से समझौता कर के अपनी जान बख्शवाली, और ये रक़म केंद्रीय खजाने के हिसाब में जमा होने लगी।

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