Monday, May 26, 2014

Pathetic Plight of Media in Pakistan पाकिस्तान में मीडिया की दुर्दशा





मुजाहिद हुसैन, न्यु एज इस्लाम
22 मई, 2014
पाकिस्तानी मीडिया में जारी कशमकश के बारे में एहतियात के साथ ये कहा जा सकता है कि ये ज़रूर रंग लाएगी और चोखा लाएगी क्योंकि जिस तरह एक दूसरे के खिलाफ पुश्ते मज़बूत किए गए हैं, ये कोई सामान्य बात नहीं। समग्र रूप से पाकिस्तान मीडिया की संरचना और स्वभाव अभी परिपक्वता के अत्यधिक प्रारंभिक चरण ही तय कर पा रही थी कि उन पर एक ऐसी आफत आन पड़ी है, जिससे पूरी तरह से बच जाना इसके बस की बात नहीं। समस्या एक विशेष मीडिया संस्थान की नहीं बल्कि समस्या सामूहिक कल्पना और व्यवहार की है। जिसकी कार्य प्रणाली के बारे में व्यापक चर्चा अभी शुरू नहीं हो सकी। इसकी बड़ी वजह बाहरी हस्तक्षेप है जो आसानी के साथ मीडिया की इमारत में सेध लगाने में कामयाब हो जाती हैं। जहां तक इस बात का सम्बंध है कि मीडिया संस्थानों की व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा इस मामले की असल जड़ है। तो इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी प्रतिस्पर्धा हर जगह अपना अस्तित्व रखती हैं लेकिन ये पहलू हमेशा ध्यान में रहता है कि दूसरे पक्ष से स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा तो मौजूद रहे लेकिन इसको तहस नहस कर देने का विचार हावी नहीं होता। 
 

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