Thursday, October 24, 2013

Reality of Wahhabism वहाबियत की असलियत

खुर्शीद अनवर
9 सितंबर, 2013
हालांकि पहले भी आतंकवाद पर कोई बहस या बातचीत आम जन के दिमाग को सीधे इस्लाम की तरफ खींच ले जाती थी। लेकिन विश्व व्यापार केंद्र पर हमले और उसके बाद दो नारों ‘आंतकवाद के खिलाफ  जंग’ और ‘दो सभ्यताओं के बीच टकराव’ ने ऐसी मानसिकता बनाई कि दुनिया भर में आम इंसानों के बीच एक खतरनाक विचार पैठ बनाने लगा कि ‘सारे मुसलमान आतंकवादी होते हैं”। कुछ ‘नर्मदिल’ रियायत बरतते हुए इसे ‘हर आतंकवादी मुसलमान होता है’ कहने लगे। था तो यह राजनीतिक षड्यंत्र, लेकिन आम लोग हर मुद्दे की तह में जाकर पड़ताल करके समझ बनाएं यह मुमकिन नहीं। मान्यताएं उनमें ठूंसी जाती हैं। जिसे ‘इस्लामी आतंकवाद’ कहा गया, वह दरअसल है क्या? यह आतंकवाद सचमुच इस्लामी है या कुछ और? अगर इस्लाम ही है तो इसकी जड़ें कहां हैं? इस तथ्य का खुलासा करने के लिए एक शब्द का उल्लेख और उसका आशय समझ कर ही आगे बात की जा सकती है: ‘जिहाद’! आखिर जिहाद है क्या? इसकी उत्पत्ति कहां से हुई और आशय क्या था?
 


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