Islam and Huqooqul Ibad: Extraordinary Importance of Muslims Keeping Promises इस्लाम और बंदो के अधिकारः मुसलमानों के वादे पर कायम रहने और ज़िम्मेदारियों को पूरा करने का महत्व
अरमान नियाज़ी, न्यु एज इस्लाम
23 जनवरी, 2013
आज इस्लामी जीवन के हर क्षेत्र में विश्वासघात और वादों के तोड़ने को देखना निराशाजनक है। आज के मुसलमानों के द्वारा अपने साथी मुसलमानों के साथ विश्वसघात करते और खुदा के साथ किए गए वादों को तोड़ते हर कदम पर देखा जा सकता है। मुसलमान अब ऐसी क़ौम नहीं रही जो अपने वादों पर कायम रहें जैसा कि उनका धर्म उन्हें वादों और ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की शिक्षा देता है। निम्नलिखित कुरान की आयत और हदीस इस्लाम में वादों को पूरा करने और ज़िम्मेदारियों को निभाने के महत्व पर ज़ोर देते हैं:
• ऐ ईमानवालों! ज़िम्मेदारियों को पूरा करो (5: 1)
अरमान नियाज़ी, न्यु एज इस्लाम
23 जनवरी, 2013
आज इस्लामी जीवन के हर क्षेत्र में विश्वासघात और वादों के तोड़ने को देखना निराशाजनक है। आज के मुसलमानों के द्वारा अपने साथी मुसलमानों के साथ विश्वसघात करते और खुदा के साथ किए गए वादों को तोड़ते हर कदम पर देखा जा सकता है। मुसलमान अब ऐसी क़ौम नहीं रही जो अपने वादों पर कायम रहें जैसा कि उनका धर्म उन्हें वादों और ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की शिक्षा देता है। निम्नलिखित कुरान की आयत और हदीस इस्लाम में वादों को पूरा करने और ज़िम्मेदारियों को निभाने के महत्व पर ज़ोर देते हैं:
• ऐ ईमानवालों! ज़िम्मेदारियों को पूरा करो (5: 1)
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