Mohammed, the Feminist मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमः महिलाओं के अधिकारों के अग्रदूत
मिशेल हेलस्टोन
18 अक्तूबर, 2013
बहुत
से पश्चिमी देशों के लोग जब ये सुनते हैं कि मुस्लिम महिलाओं के साथ कैसा
व्यवहार किया जाता है तो वो नफरत का इज़हार करते हैं, लेकिन क्या वास्तव
में इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमें लैंगिक भेदभाव का तत्व शामिल है? कुरान
और धर्म के ऐतिहासिक संदर्भों का गहराई से अध्ययन करने से ये पता चलता है
कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो औरतों को पूरी आज़ादी देता है।
कुछ
दिनों पहले ही सऊदी अरब से एक हास्यास्पद "रिपोर्ट" आई कि एक सऊदी उलमा ने
खबरदार किया है कि ड्राईविगं करने से महिलाओं के अंडाशय पर नकारात्मक
प्रभाव पड़ता है। इस रिपोर्ट के द्वारा औरतों के लिए ड्राइविंग पर पाबंदी
से सम्बंधित सऊदी कानून का औचित्य वैज्ञानिक तौर पर पेश करने की कोशिश की
गई थी।
दुर्भाग्य
से इस प्रकार की रिपोर्ट अब पश्चिमी देशों के लोगों को हैरान नहीं करतीं।
उन लोगों के बीच ये नज़रिया आम है कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम और
इस्लाम ने नारी जाति से नफरत करने वाले समाज को बढ़ावा दिया है जो अक्सर
मुस्लिम देशों में पाया जाता है।
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