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.... इस्लाम धर्म का आधार ही शिक्षा पर हैं और इस धर्म के मानने वाले हिंदुस्तानी आला तालीम के मामले में सबसे पिछड़ी कौम कहलाएं इससे ज़्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। मेरे मुताबिक ये बात तो सभी मुसलमानों के लिए शर्म का कारण है ही लेकिन इससे भी ज़्यादा शर्मनाक बात ये है कि हम मुसलमानों को ये आदत हो गई है कि अपनी जिहालत का ठीकरा भी साम्प्रदायिकता और सरकार के सिर पर फोड़ देते हैं। --ज़फ़र आगा (अंग्रेज़ी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डॉट काम) http://www.newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=6521 |
Wednesday, February 1, 2012
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