by डा. अदिस दुदरीजा, न्यु एज इस्लाम डाट काम
हम कितनी बार ऐसे मोज़ाकरात औऱ मज़ामीन सुनते और पढ़ते हैं जो हमें बताते हैं कि फलां फलां मसले पर कुरान या सुन्नत का पक्ष ऐसा ऐसा है? अक्सर इन दावों को साबित करने के लिए इस्तेमाल की गई दलीलें कुछ कुरानी आयात या हदीस (अगर हम भाग्यशाली हुए तो हम कुछ इनके बारे में जानकारी भी प्राप्त कर पाते हैं) पर आधारित होती हैं। इस लेख में मेरी दलील यह है कि लोग भी इस तरह के चर्चा में भाग लेते हैं वो विद्वान हों या नहीं इन सभी लोगों को इस बात से परिचित होना चाहिए कि किस तरह क़ुरान और सुन्नत पर हमारे विचार हमेशा कुछ तशरीही मफरूज़ात पर आधारित होते हैं जिनसे हम परिचित नहीं होते हैं और जिन्हें हम पहली नज़र में फलां फलां समस्या को कुरान या हदीस से सम्बंधित तसव्वुर करते हैं और जो उनके बारे में राय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ...
http://newageislam.com/hindi-section/डा.-अदिस-दुदरीजा,-न्यु-एज-इस्लाम-डाट-काम/मुसलमानों-में-तशरीही-बेदारी-और-तशरीह-के-तरीकए-कार-की-कमी/d/6708
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