Wednesday, February 15, 2012

Hindi Section
शरीयत की तश्कील में हदीस का किरदार

इस उम्मत में एक गिरोह हमेशा से ऐसा मौजूद रहा है जो कुरान को तो मानता है लेकिन हदीस को नहीं मानता, यह गिरोह मुनकरीने हदीस का गिरोह कहलाता है, आज से चौदह सौ साल पहले जब इस गिरोह की मौजूदगी का कोई तसव्वुर भी नहीं था सरकारे दोआलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (स.अ.व.) ने उसकी पेशनगोई फरमा दी थी, हदीस में है, मैं तुम में से किसी को न पाऊँ कि मसनद पर तकिया लगा कर बैठे और जब मेरी कोई हदीस उसके सामने आए तो वह कहे कि मैं नहीं जानता हमने ये बात किताबुल्लाह में कहीं नहीं देखी जो हमारे लिए काफी है'''''''''''''''' ( तिरमिज़ी: 37/5, रक़मुल हदीस: 2663)। ...

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