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शरीयत की तश्कील में हदीस का किरदार
by मौलाना नदीमुल वाजदी
इस उम्मत में एक गिरोह हमेशा से ऐसा मौजूद रहा है जो कुरान को तो मानता है लेकिन हदीस को नहीं मानता, यह गिरोह मुनकरीने हदीस का गिरोह कहलाता है, आज से चौदह सौ साल पहले जब इस गिरोह की मौजूदगी का कोई तसव्वुर भी नहीं था सरकारे दोआलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (स.अ.व.) ने उसकी पेशनगोई फरमा दी थी, हदीस में है, मैं तुम में से किसी को न पाऊँ कि मसनद पर तकिया लगा कर बैठे और जब मेरी कोई हदीस उसके सामने आए तो वह कहे कि मैं नहीं जानता हमने ये बात किताबुल्लाह में कहीं नहीं देखी जो हमारे लिए काफी है'''''''''''''''' ( तिरमिज़ी: 37/5, रक़मुल हदीस: 2663)। ...
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