कुछ पाकिस्तानी अखबारों में ये सवाल किया जा रहा है कि क्या मुमताज़ क़ादरी का येक़दम सही था? क़ानून को अपने हाथ में लेना जुर्म है कि नहीं? इसके साथ ही इस्लामीनुक़्तए नज़र पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। जहाँ तक मुमताज़ क़ादरी के इसक़दम का ताल्लुक है, ज़ाहिर है इसे संविधान के मुताबिक नहीं कहा जा सकता है,लेकिन संविधान और कानून का सवाल वहाँ पैदा होता है जहाँ संविधान और कानून परअमल किया जा रहा हो। पाकिस्तान में रसूलुल्लाह (स.अ.व.) का अपमान करने वालेके लिए मौत की सज़ा है। सलमान तासीर बराबर ये जुर्म करते रहे, मगर न अदालत नेउनके खिलाफ कोई नोटिस लिया और न ही सरकार ने। उन्हों अदालत में क्या घसीटाजाता उन्हें उनके पद से भी नहीं हटाया गया। ऐसे हालात में जज़्बात भड़केंगें नहीं तोऔर क्या होंगें। --मौलाना नदीमुल वाजिदी (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान,न्यु एज इस्लाम डाट काम)
No comments:
Post a Comment