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28 Sep 2011, NewAgeIslam.Com | |
क़ुरान को खुद ही बोल लेने दीजिए | |
क़ुरान को खुद ही बोल लेने दीजिए किताब का नामः टेक्स्ट एण्ड कॉन्टेक्स्टः क़ुरान एण्ड कन्टेम्पोरेरी चैलेंजेज़ लेखकः आरिफ़ मुहम्म्द खान प्रकाशकः रूपा एण्ड कम्पनी पृष्ठ-306, कीमत-395 |
क्या इस्लाम स्वाभाविक रूप से हिंसक है? क्या हिंदुस्तान और पूरी दुनिया में रहने वाले मुसलमानोंकी निंदा इसलिए होती है कि वो निरक्षरता, असहिष्णुता और कट्टरपंथ में डूबे रहते हैं? या फिर वोलोकतंत्र, महिलाओं के अधिकार और बहुसंस्कृतिवाद वाली आधुनिक दुनिया का सामना अपनीशर्तों पर कर सकते हैं? आरिफ मोहम्मद खान का मानना है कि वो ऐसा कर सकते हैं। पिछले एकदशक या इससे भी ज्यादा में विभिन्न अखबारों और मैग्ज़ीनों में प्रकाशित उनके लेखों के संग्रह,टेक्स्ट एण्ड कॉन्टेक्स्टः क़ुरान एण्ड कन्टेम्पेरेरी चैलेंजेज़ में इस विद्वान और राजनीतिज्ञ ने बतायाहै कि मुसलमान ऐसा क्यों कर सकते हैं। --सैफ शाहीन (अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद- समीउररहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम) http://newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=5578 |
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