Tuesday, September 20, 2011

Hindi Section
20 Sep 2011, NewAgeIslam.Com
सहिष्णुता और धैर्यः इस्लाम की मौलिक शिक्षाएं

सहाफत,मुम्बई (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

सहिष्णुता की एक और मिसाल हदीस में है कि रसूलुल्लाह (...) ने सहाबा इकराम को सम्बोधित करते हुए कहाकोई शख्स अपने माँ-बाप को बुरा भला कहे। सहाबा इकराम ने अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह (...) ये कैसेमुमकिन है कि कोई व्यक्ति अपने माँ-बाप को बुरा भला कहे? रसूलुल्लाह (...) ने फरमायाः हां, इंसान खुद तोअपने माँ-बाप को बुरा भला नहीं कहता है, लेकिन जब वो किसी दूसरे शख्स के माँ-बाप को बुरा कहेगा, तो इसकेनतीजे में दूसरा उसके माँ-बाप को बुरा कहेगा, इसका कारण ये बेटा बना तो, ये ऐसा ही है, जैसे खुद उसने अपनेमाँ-बाप को बुरा कहा। जब समाज में किसी भी समय दूसरे को बुरा कहा जायेगा, तो जवाब में बुरा ही सुनने कोमिलेगा। -- सहाफत,मुम्बई (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

http://newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=5523

No comments:

Post a Comment