Monday, September 19, 2011


Hindi Section
19 Sep 2011, NewAgeIslam.Com
दीनी मदरसों के शिक्षकों की सामाजिक भूमिका

वारिस मज़हरी (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

सवाल ये हैं कि मुस्लिम समाज के सुधार में मदरसों मदरसा के शिक्षकों का क्या रोल हैं? हकीकतये है कि बड़ी तादाद में मदरसे से पढ़कर निकलने वाले मदरसों में ही पढ़ाने का काम अंजाम देते हैं।इसलिए उनका समाजी रोल तय होना चाहिए। तालीम उस समाजिक रोल का एक अहम पहलू है।देखा ये जा रहा है कि इसमें भी पढ़ाने का काम भी दूसरे अन्य कामों की तरह नियमित काम बनगया है। और तकनीकी और मशीनी अंदाज़ में किया जा रहा है। अगर मदरसों से पढ कर बाहरनिकलने वाले अधिकांश इन्हीं मदरसों की चारदीवारी के अंदर ही कैद होकर रह जा रहे हैं, और उसीकाम को दुहराते हैं जो उन पर दुहराया गया था, तो ऐसी सूरत में इस काम और इस इदारे का बाहरकी दुनिया से कितना ताल्लुक रह जाता है? --वारिस मज़हरी (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउररहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

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