Wednesday, September 14, 2011

Hindi Section
14 Sep 2011, NewAgeIslam.Com
क़ुरान करीमः महिलाओं के अधिकारों का रक्षक

प्रोफेसर अख्तरुल वासे (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

क़ुरान पाक में मर्द को औरत का लिबास कहा गया है और औरत को मर्द का लिबास कहा गयाहै, लिबास का मकसद जहाँ एक तरफ सतर को छिपाना होता है, तो दूसरी तरफ उसकामकसद ज़ेब जीनत (शोभा) का इज़हार भी होता है। क़ुरान ने इस जुमले (वाक्य) में औरतऔर मर्द दोनों की हैसियत तय कर दी, यानि दोनों एक दूसरे के लिए लिबास की तरह हैं। जोइनके लिए ज़ेब ज़ीनत का सब है जिससे उनके जिस्म की बाहरी असर से हिफाज़त होतीहै, जो उनके जिस्मानी ऐब पर पर्दा डालता है, जो उनके जिस्म का सबसे क़रीबी राज़दार होताहै और जो उनके वजूद से सबसे करीब चीज़ होती है। क़ुरान मजीद में औरत और मर्द के लिएलिबास की उपमा के द्वारा सिर्फ ये कि उनके रिश्ते को तय करती है बल्कि इस रिश्ते कीआवश्यकताओं को भी एक दूसरे पर पूरी तरह स्पष्ट कर देती है। --प्रोफेसर अख्तरुल वासे(उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

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