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इस बहस में जो सबसे महत्वपूर्ण है और जिसे अक्सर अनदेखा भी किया जाता है, वो ये कि हम इस्लाम के नाम पर जिस पर अमल करते हैं वह धर्म या पवित्र किताबों की शिक्षा के अनुसार कम और संस्कृति के नाम पर अधिक करते हैं और इसके अलावा महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों का विरोध या रक्षा करते समय भी बहुत सी परंपराओं पर निर्भर करते हैं। --असगर अली इंजीनियर (अंग्रेज़ी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम) http://www.newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=6383 |
Monday, January 16, 2012
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