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मुसलमानों को इस्लामी ग्रंथों में दर्ज पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी को समझने की जरूरत है। सूरे इब्राहीम में कहा गया है, ‘ख़ुदा ही ऐसा (क़ादिर तवाना) है जिसने सारे आसमान व ज़मीन पैदा कर डाले और आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिए से (मुख्तलिफ दरख्तों से) तुम्हारी रोज़ा के वास्ते (तरह तरह) के फल पैदा किए और तुम्हारे वास्ते कश्तियां तुम्हारे बस में कर दी-ताकि उसके हुक्म से दरिया में चलें और तुम्हारे वास्ते नदियों को तुम्हारे एख्तियार में कर दिया’। -- नीलोफर अहमद (अंग्रेज़ी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम) http://www.newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=6448 |
Monday, January 23, 2012
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