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इस्लाम में ख़िदमते ख़ल्क़ (परोपकार)
by सैयद एमादुद्दीन असद (अनुवाद- न्यु एज इस्लाम)
Syed Imad-ud-Din Asad, Director, School of Law and Policy, UMT, Lahore
लेकिन, पश्चिम में बहुत से लोगों का मानना है कि ख़िदमते ख़ल्क़ (परोपकार) एक ऐसी अवघारणा है जिसके इस्लाम के साथ जुड़े होने की संभावना नहीं हैं। एहसान, दया, करुणा, सखावत, इंसान दोस्ती के बजाय, आम पश्चिमी लोग इस्लाम को हिंसा, आतंकवाद, असहिष्णुता, अलोकतांत्रिक सामाजिक व्यवहार, महिलाओं के उत्पीड़न आदि जैसी विशेषताओं वाला बताने की कोशिश करते हैं। इस संगीन गलतफहमी के दो कारण हैः उनकी कुरान और रसूलुल्लाह (स.अ.व.) की परंपराओं से लाइल्मी और कुछ मुसलमानों का गैर जिम्मेदाराना रवैय्या है। ...
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