Monday, March 26, 2012

कुरानी शरीयत (कानून) तलाक, तीन तलाक, अस्थायी शादी, हलाला को हराम क़रार देती है


"और जब तुम औरतों को तलाक दो और अपनी इद्दत (पूरी होने) को आ पहुँचें तो जब वे शरई दस्तूर के मुताबिक आपस में रज़ामंद हो जाएं तो उन्हें अपने (पुराने या नए) शौहरों से निकाह करने से मत रोको, उस शख्स को इस अमर की नसीहत की जाती है जो तुम में से अल्लाह पर यौमे क़यामत पर ईमान रखता हो,  ये तुम्हारे लिए बहुत सुथरी और नेहायत पाकीज़ा बात है,  और अल्लाह जानता है और तुम (बहुत सी बातों को) नहीं जानते" 

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