Sunday, October 9, 2011

Hindi Section
08 Oct 2011, NewAgeIslam.Com
शासन का एक तरीका ये भी

मुफ्ती मोहम्मद ज़ुबैर हक़ नवाज़ (उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

क्या इन जैसे वाकेआत में हमारा प्रशासन चलाने वाले लोगों के लिए कोई सबक़ है, जिनका वजूद प्रोटोकॉल के खोल में पैक रहता है, जिन्हें अपने शीश महलों से बाहर निकलने का समय नहीं मिलता है, जो रोज़ाना अपने सरकारी दफ्तर में अपनी ज़िम्मेदारियाँ अदा करने नहीं बल्कि बिज़नेस करने जाते हैं, जिनके दफ्तर का समय अपने मुनाफे को हासिल करने के नये रास्ते तलाश करने में गुज़र जाते हैं, जिनके सुझाव अपने निजी फायदे को हासिल करने के लिए नये रुख, नये मौके औऱ नये दरवाज़े को खोलना होता है, जिनके ऐश के सामान, रहन सहन और जिनकी सिर्फ लग्ज़री गाड़ियों को देख कर खुद उन देशों का मीडिया हैरान रहता है जिनके सामने मदद के लिए हम हाथ फैलाये रहते हैं। इन देशों के मीडिया का कहना है कि पार्लियमेंट के जलसों में आने वाले इन लीडरों को देखकर कोई ये अंदाज़ा नहीं कर सकता है कि ये किसी गरीब राष्ट्र के नुमाइंदे हैं। --मुफ्ती मोहम्मद ज़ुबैर हक़ नवाज़ (उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

http://newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=5649

No comments:

Post a Comment