Hindi Section | |
05 Oct 2011, NewAgeIslam.Com | |
धैर्य और क्षमाः इस्लामी शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलू | |
मोहम्मद इब्राहीम ख़लील (उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान,न्यु एज इस्लाम डाट काम) |
आपस के टूटे हुए रिश्तों को नये सिरे से जोड़ कर मोहब्बत की एक ही लड़ी में पिरोना न सिर्फ क़ौमी ज़रूरत है बल्कि अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने का भी सबसे बड़ा ज़रिआ है। यही वो एक रास्ता है जिस पर चल कर कौम के बिखरे हुए लोगों को मोहब्बत की लड़ी में पिरो कर एक महान समुदाय बनाया जा सकता है। आपस में लड़ रहे दो ग्रुप अपनी अपनी माँग और पक्ष पर अड़े रहने के बजाय अगर अपनी कुछ माँग को छोड़कर बीच के किसी रास्ते पर अपने विरोधी के साथ समझौता करने के लिए तैय्यार हो जायें, तो इसमें दोनों पार्टियों की न सिर्फ भलाई है बल्कि अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने का ज़रिआ भी है। --मोहम्मद इब्राहीम ख़लील (उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान,न्यु एज इस्लाम डाट काम) http://newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=5625 |
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