Friday, February 28, 2020

Dalit-Muslim Politics and Muslim Leadership दलित-मुस्लिम राजनीति और मुस्लिम नेतृत्व




सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
बीते दिसम्बर से पुरे देश में एनआरसी, सी ए ए और नागरिक जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहे हैं और बौद्धिक वर्ग भी इस विरोध में शामिल हैl देश के डेढ़ सौ से अधिक जगहों पर शाहीन बाग़ के तर्ज़ पर जनता ने विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन किया हैl विभिन्न वर्गों से संबंध रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार के लिए काम करने वाली तंज़ीमें भी इस विरोध की हिमायत कर रही हैंl इन सबका मुतालबा है कि सरकार सी ए ए, एन आर सी और एन पी आर को वापस ले क्योंकि यह कानून अमानवीय कानून हैंl
इन प्रदर्शनों की एक विशेषता यह रही है कि यह पूरी तरह गैर राजनीतिक और गैर मज़हबी हैl हालांकि इन प्रदर्शनों में मुस्लिम वर्ग का एक बड़ा भाग शरीक है मगर उनहोंने बौद्धिक तौर पर यह निर्णय किया है कि किसी मुस्लिम धार्मिक नेता को इस प्रदर्शन में शामिल कर के इसे धार्मिक रंग नहीं देंगे क्योंकि यह केवल मुसलमानों की समस्या नहीं हैl आसाम में पांच लाख मुसलमानों के साथ चौदा लाख पिछड़े वर्ग के हिन्दू भी नागरिकता की सूचि से बाहर कर दिए गए हैंl इसलिए इस आन्दोलन को मुसलमान दलितों और दोसरे पिछड़े वर्ग के साथ मिल कर चला रहे हैंl मुसलमानों को यह डर है कि अगर कौमी रहनुमा इस में नियमित रूप से शामिल हो तो वह अपने पारंपरिक शैली और भाषा में बातें करेंगे और इस समस्या को इस्लाम और कुफ्र की समस्या बना देंगेl जिससे देश के दोसरे वर्ग इस तहरीक में मुसलमानों से अलग हो जाएंगे और केन्द्र सरकार और बीजेपी को मुसलमानों और हिन्दुओं में फुट पैदा करने में आसानी होगीl इस लिए उन्होंने अब तक इस आन्दोलन में किसी कौमी रहनुमा के शिरकत की हौसला अफज़ाई नहीं की हैl
यह दृश्य अपने आप में मुसलमानों में आने वाली नई सोच की ओर इशारा करता हैl अब तक देश में मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक मामलों को लेकर जितनी भी तहरीकें चली हैं उनमें उलेमा और राष्ट्रीय संगठनों ने मुख्य भूमिका अदा किया हैl आज़ादी से पहले शामली में सबसे पहले उलेमा ने ही अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद का एलान किया और उनके खिलाफ सशस्त्र जंग लड़ीl मगर इस जंग में उन्हें हार हुई और हज़ारों उलेमा शहीद कर दिए गए और हज़ारों उलेमा को काला पानी की सज़ा हुईl इसके बाद उलेमा के वर्ग ने अपनी रणनीति परिवर्तित कर ली और राजनीति से अलग हो कर मुसलमानों में दीनी और शैक्षिक जागरूकता पैदा करने की मुहिम में लग गए और देवबंद और दोसरे मिल्ली इदारों की स्थापना हुईl
आज़ादी की जंग ने जब ज़ोर पकड़ा तो मुस्लिम राजनीतिज्ञों के साथ फिर उलेमा राजनीति में आए और उन्होंने दोसरी कौमों के साथ मिलकर आज़ादी की तहरीक में हिस्सा लियाl मगर आज़ादी के बाद धीरे धीरे मिल्ली नेताओं की पकड मुस्लिम अवाम पर कमज़ोर पड़ने लगीl देश में मुसलमानों के साथ पेश आने वाले समस्या के हल में असफलता का जिम्मेदार मुसलमान उन उलेमा को समझने लगे क्योंकि अब तक वह उन्हें ही अपना नेता मान रहे थे और उन्हीं के फैसलों पर लब्बैक कह रहे थेl उलेमा और मिल्ली कयादत का एक बड़ा वर्ग सरकारों का हाशिया बरदार बन गया था जो मुसलमानों में बेज़ारी पैदा कर रहा थाl राज्य और राष्ट्र स्टार पर उनमें कयादत और सरकारी रियायतें प्राप्त करने की प्रतियोगिता तेज़ हो गई थीl एम एल सी, एम एल ए और राज्य सभा की टिकट के लिए यह लोग सरकार की मुस्लिम दुश्मन नीतियों का समर्थन करने लगेl मुसलमानों की मिल्ली कयादत से बेज़ारी तब पूरी हो गई जब बाबरी मस्जिद के मामले में बड़ी अदालत ने मुसलमानों के खिलाफ फैसला दियाl अब मुसलमान यह समझने लगे कि उनकी मिल्ली कयादत ने पिछले सत्तर वर्षों में उन्हें यहाँ तक पहुंचाया हैl आज उनकी यह हालत है कि एन आर सी के तहत मुसलमानों को विदेशी घुसपैठिया ठहरा कर डिटेंशन कैम्पों में भेजा जा रहा है और वहाँ उनकी अज्ञात कारणों के आधार पर मौत हो रही है मगर हमारे उलेमा के पास इस समस्या के हल के लिए बयान देने के सिवा कुछ नहीं हैl बल्कि अफ़सोस का मकाम है कि कुछ मिल्ली रहनुमा और बुद्धिजीवी केंद्र सरकार को खुश करने के लिए यह कह रहे हैं कि सी ए ए से मुसलमानों को कोई हानि नहीं होगीl
इस स्थिति में मुसलमानों ने अब यह फैसला किया कि वह अपने अस्तित्व की लड़ाई और अपने समस्याओं के हल के लिए बिरादरान ए वतन के साथ मिलकर सेकुलर तर्ज़ पर लड़ाई करेंगेl क्योंकि उन्हें मिल्ली कयादत की नियत पर भरोसा नहीं हैl वह कब क्या कर बैठें और सरकार के साथ मिल कर कौन से खुफिया समझौता कर लें और कौम को तबाही के दलदल में धकेल दें कुछ नहीं कहा जा सकताl दोसरे यह कि उनके पास बातिल को हिला देने वाली और हुक्मरानों के एवानों में ज़लज़ला पैदा करने वाली तकरीरें हैंl
वर्तमान स्थिति में सेकुलर मुसलमानों ने दलित संगठनों के साथ मिलकर एक एकता स्थापित करने की कोशिश की है जो अपने प्रारम्भिक चरण में हैl दो दलित संगठन बाम सेफ और भीम आर्मी मैदान में हैं और केंद्र सरकार को बड़ा चैलेंज पेश कर रही हैं और सरकार इस एकता से घबराई हुई भी है क्योंकि पिछले महीने जब भीम आर्मी की कयादत में दलितों और मुसलमानों ने जामा मस्जिद में एहतेजाजी धरना दिया और भीम आर्मी के प्रमुख ने वहाँ से तकरीर की तो इसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार करके एक महीने के लिए जेल भेज दिया गयाl जमानत पर उनकी सशर्त रिहाई के कुछ ही दिनों के बाद उन्हें फिर हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गयाl इससे केंद्र सरकार की इस एकता से घबराहट ज़ाहिर हैl इस इत्तेहाद में मुसलामानों की नुमाइंदगी प्रसिद्ध वकील और कार्यकर्ता महमूद प्राचा कर रहे हैंl वह इससे पहले आसाम में एन आर सी के समस्या पर जमीयत के साथ काम कर रहे थे और बहुत सारे मुसलमानों की कानूनी तौर पर मदद भी की मगर उन्हें यह शिकायत थी कि मिल्ली रहनुमा राज्य में मुसलमानों के हितों को अपने राजनीतिक हितों पर कुर्बान कर रहे हैं इसलिए वह वहाँ से अलग हो गए और भीम आर्मी के साथ मिलकर एन आर सी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ायाl
मगर दोसरी ओर बाम सेफ के मुखिया वामन मेश्राम को इस एकता से अपने संगठन के पीछे रह जाने की फिकर पैदा हो गई क्योंकि वह भी दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और ई वी एम के खिलाफ पिछले कई वर्षों से कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैंl उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस सिलसिले में कई मुकदमात भी दाखिल किये और ई वी एम को रद्द करने की मांग कीl उन्हें इसमें जुज़वी तौर पर सफलता भी मिलीl उनके पास काफी आँकड़े हैं और वह भारत की तारीख और समाज का गहरा इल्म रखते हैंl वह दलित मुस्लिम एकता के ज़बरदस्त समर्थक हैंl
जब वामन मेश्राम ने देखा कि महमूद पराचा और चन्द्रशेखर आज़ाद की कयादत में दलित और मुस्लिम एकता सफल हो रहा है तो उन्होंने इसके तोड़ के लिए किसी मुस्लिम चेहरे की तलाश शुरू कर दीl उनकी नज़र मौलाना सज्जाद नोमानी पर गईl मौलाना सज्जाद नोमानी उनकी तंजीम से रस्मी तौर पर पिछले दो या तीन बरसों से जुड़े हुए हैं मगर कौमी साथ पर मुसलमानों के कायदे की हैसियत से नहीं जाने जाएl मगर चूँकि वह पहले से उनकी तंजीम से जुड़े हुए थे इसलिए उन्होंने महमूद पराचा- चन्द्रशेखर आज़ाद की जोड़ी के मुकाबले में वामन मेश्राम- सज्जाद नोमानी जोड़ी पेश कीl मौलाना सज्जाद नोमानी को मुस्लिम प्रदर्शनकारियों में परिचित कराने के लिए उन्हें शाहीन बाग़ दिल्ली और पार्क सर्कस कोलकाता भेजा गयाl हो सकता है कि दोसरी जगहों पर भी उनको भेजा गया होl आम तौर पर मुसलमान यह समझ रहे थे कि मौलाना सज्जाद नोमानी इन विरोध प्रदर्शनों में रस्मी तौर पर मुसलमानों का हौसला बढाने के लिए आते हैं मगर असल में यह बाम सेफ की एक व्यवस्थित रणनीति का भाग हैl उन्हें वामन मेश्राम जी मुसलमानों के कायद के तौर पर पेश कर रहे हैं और अपनी तकरीरों में उनकी बड़ी प्रशंसा करते हैंl वह यहाँ तक कहते हैं कि उन्हें बहुत तलाश करने के बाद सज्जाद नोमानी जैसा मुस्लिम लीडर मिला हैl दो साल पहले मौलाना सज्जाद नोमानी के संबंध में यह ख़बरें भी आई थीं कि वह आर एस एस के बहुत करीब हैं और वह आर एस एस को अमन और भाई चारे का दर्स देने गए थेl
मौलाना सज्जाद नोमानी साहब आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेम्बर और उसके प्रवकता हैंl इस बात से यह भी समझना मुश्किल नहीं कि बाबरी मस्जिद मामले में हार जाने के बाद मुसलमानों में अपनी खोई हुई साख बहाल करने के लिए उन्होंने मौलाना सज्जाद नोमानी को प्रमोट करने का फैसला किया हो और एन आर सी के खिलाफ इस से बेहतर मौक़ा नहीं हो सकताl इस तरह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अप्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन को कंट्रोल या दिशा देने का प्रयास कर सकता है और फिर वही मुसलमानों के पिटे हुए मोहरे इस आन्दोलन में शामिल होंगे या इसे किसी तरह प्रभावित करने की कोशिश करेंगे इस प्रभावी और सेकुलर आन्दोलन को हानि पहुंचाएंगेl वामन मेश्राम ने कुछ ही दिन पहले मुसलमानों को सलाह दी थी कि वह इस आन्दोलन में धार्मिक तत्वों को शामिल ना करें क्योंकि इससे उन्हीं का नुक्सान होगा मगर अब बदलते हुए हालात में उन्हें अपनी रणनीति परिवर्तन करना पड़ा है क्योंकि एक दलित लीडर की हीयत से चन्द्र शेखर आज़ाद उन्हें चुनौती दे रहे हैंl मगर इस में कोई शक नहीं कि मौलाना सज्जाद नोमानी नए संदर्भ में महमूद पराचा का तोड़ नहीं बन सकेंगेl महमूद पराचा ने व्यवहारिक रूप से मुसलमानों को बहुत मदद की है और वह कानून दां भी हैं और इस आन्दोलन को बड़ी संघर्ष और कुर्बानी के जज़्बे के साथ आगे बढ़ा रहे हैंl मुसलामानों को इस आन्दोलन को मुफ़ादपरस्त मिल्ली तत्वों से सुरक्षित रखना होगा और दलित- मुस्लिम एकता को सेकुलर आधार पर उस्तुवार करना होगा क्योंकि इसी में इस देश का भविष्य और अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों की भलाई हैl आज्मुदा आज्मुदन हिमाकत अस्तl

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