Is My View That Non-Muslims Too Can Enter Paradise Against The Qur'an
ये मानना है कि गैर मुस्लिम भी जन्नत में दाखिल हो सकते हैं, क्या क़ुरान के ख़िलाफ़ है

ख़ालिद ज़हीर
11 अगस्त, 2013
सवाल: आप कितने बड़े बेवकूफ हैं! बदक़िस्मती से आप जैसे बेवकूफों को स्कालर कहा जाएगा। आप यू-ट्यूब पर अपनी एक पेशकश में (http://www.youtube.com/watch?v=tMSNlcpYaf8) कहते हैं कि क़ुरान में ऐसी कई आयतें हैं जो स्पष्ट रूप से ये संदेश देती हैं कि गैर मुस्लिम भी जन्नत में दाखिल हो सकते हैं जबकि आप अल इमरान की आयत 85 का ज़िक्र नहीं करते जिसमें साफ तौर पर ये उल्लेख है कि:
'जो इस्लाम के अतिरिक्त कोई और दीन (धर्म) तलब करेगा तो उसकी ओर से कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। और आख़िरत में वो घाटा उठाने वालों में से होगा ( ... और ज़्यादा के लिए देखें All spiritual good)। और आपका दावा है कि मुसलमानों के बहुमत में ये गलत दृष्टिकोण प्रचलित है। ये आपका भ्रम है कि मुसलमानों का बहुमत भ्रम और गलती पर है। जबकि पैगम्बर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की एक रवायत के अनुसार, अल्लाह अपने मानने वालों (उम्मतियों) को गुमराही पर जमा नहीं करेगा। और आपने अपनी फिज़ूल और बेबुनियाद क़ुरानी तफ्सीर के द्वारा पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) पर ईमान लाने की ज़रूरत को पूरी तरह खारिज कर दिया है। आपने ये दावा किया है कि परलोक (आखिरत) में कामयाबी हासिल करने के लिए सिर्फ तीन शर्तें हैं- (क) खुदा पर ईमान लाना, (ख) आखिरत पर ईमान लाना (ग) और नेक काम करना। सिर्फ ये तीन शर्तें पूरी कर लेने के बाद आप परलोक में कामयाबी को हासिल कर लेंगे। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं और क्या हैं। क्या आपमें और क़ादीयानियों में कोई अंतर है?
No comments:
Post a Comment