Wednesday, May 28, 2014

We Take Pride In Our Ancestors हमारे पूर्वज: हमारा अभिमान



अभिजीत
27 मई, 2014
इंसान अपनी हर चीज बदल सकता है, वह अपनी राष्ट्रीयता बदल सकता है, प्रांतीयता बदल सकता है, अपना मजहब बदल सकता है, अपना नाम बदल सकता है पर चाहकर भी अपने पूर्वज और अपने बाप-दादों को नहीं बदल सकता , ये सनातन सत्य है । इस कथन को साबित करने के लिये कई दिलचस्प उदाहरण दिये जा सकते हैं। उदाहरणार्थ ,
(1.) एक इंसान जनवरी , 1947 में वर्तमान बांग्लादेश के खुलना जिले में पैदा हुआ था। अगर उस समय उसे अपनी राष्ट्रीयता लिखनी होती तो वो हिंदुस्तानी या भारतीय लिखता। 1947 मे देश का विभाजन हुआ और पूर्वी बंगाल का खुलना जिला पाकिस्तान में चला गया। अब उस आदमी की राष्ट्रीयता बदल कर पाकिस्तानी हो गई। 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हुआ और खुलना बांग्लादेश मे आ गया और उस इंसान की राष्ट्रीयता बदलकर बांग्लादेशी हो गई। इस 25 साल की अवधि में उसकी राष्ट्रीयता तीन बार बदली।
(2.) इसी तरह एक आदमी वर्तमान झारखंड के रांची में उस समय पैदा हुआ जब बंगाल और बिहार एक प्रांत थे, इसलिये उस समय उसकी प्रांतीयता बिहारी  थी। फिर झारखण्ड के बिहार से अलग होने के बाद उसकी प्रांतीयता बदल कर झारखंडी हो गई यानि उसकी प्रांतीयता दो बार बदली।
(3.) रामलाल एक हिंदू परिवार में पैदा हुआ। बाद में उसने मजहब तब्दील कर ली और ईसाई हो गया और उसने अपना नाम बदलकर पीटर रख लिया। बाद में किसी ने उससे कहा कि इस्लाम धर्म ज्यादा बेहतर है और इस मजहब में भी हजरत ईसा (अलैहे0) को अत्यंत बुलंद दर्जा प्राप्त है तो उसने इस्लाम ग्रहण कर लिया और अपना नाम बदल कर रहीम खान रख लिया। यानि तीन बार मजहब और नाम दोनों बदला।
 

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