Monday, May 26, 2014

Sufi Saints of Bihar बिहार के सूफ़ी संत

ऐमन रियाज़ , न्यु एज इस्लाम
17 जनवरी, 2014







हज़रत मख़दूम कमालुद्दीन यह्या मनेरी 13वीं सदी के एक भारतीय सूफी संत थे, उनका आस्ताना पटना (बिहार) से 29 किमी दूर मनेर में एक मस्जिद के आंगन में है।
सूफीवाद शब्द का स्रोत अरबी शब्द 'सफा' है जिसका अर्थ 'पवित्रता' है। इसका एक और अर्थ जो 'सुफ' शब्द से लिया गया उसका अर्थ है 'ऊन’, जो फिज़ूलखर्ची से परहेज़ और सादगी को महत्व देने की ओर इशरा करता है। संक्षेप में एक सूफी सादा जीवन व्यतीत करता है और विश्वास में पवित्रता रखता है।
'सूफ़ियाए बिहार’ एक किताब है जिसे ''जागरण प्रकाशन लिमिटेड' ने प्रकाशित किया है। और ये किताब क़ाफी टेबल बुक की श्रेणी में आती है जो पूजा स्थलों पर आधारित है। इस लेख में बिहार की उन खानक़ाहों, दरगाहों और मज़ारों को शामिल किया गया है जिसका वर्णन इस किताब में किया गया है। 'सूफ़ियाए बिहार’ में बिहार के 52 से आध्यात्मिक केन्द्रों का वर्णन किया गया है।
इमारते शरिया (बिहार, उड़ीसा और झारखंड) के जनरल सेक्रेटरी अनीसुर्रहमान क़ास्मी कहते हैं: ''लगभग पिछले 1000 सालों से बिहार महान सूफियों के वंश का केंद्र रहा है। बिहार की आभा ने सभी सूफियों की शैक्षिक और अनन्त प्यास को बुझाने में मदद की है। सूफ़ी संतों के प्रभाव को स्पष्ट रूप से समाज, शिक्षा, व्यवहार और बिहार के आतिथ्य में देखा जा सकता है। 
 

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