Wednesday, May 28, 2014

Muslims Must Be Honest About Qur'an मुसलमानों को कुरान के बारे में ईमानदार होना चाहिए



तारिक़ फतेह
20 मई, 2014
इस्लामी जिहादी संगठन बोको हराम के द्वारा ईसाई स्कूली छात्राओं को गुलाम बनाये जाने के बाद मुस्लिम बुद्धीजीवी अपना आत्मावलोकन करने के बजाय डैमेज कण्ट्रोल करने में लगे हुए हैं।
टोरंटो स्टार से लेकर दि इंडीपेन्डेंट, लंदन और सीएनएन डॉट काम तक पर मेरे सहधर्मी लेखकों के द्वारा लिखे गये लेख में शरई कानून के किसी भी संदर्भ से बचा गया है जिसमें गैरमुस्लिम महिला युद्धबंदियों को सेक्स के लिए गुलाम बनाने की इजाज़त दी गई है।
दरअसल तथ्य ये है कि पूरे इतिहास में मुस्लिम सेना को इस्लामी कानून के तहत गैर मुस्लिम कैदियों को सेक्स के लिए गुलाम बनाने की इजाज़त दी गई है।
कुरान की सूरे 33 और आयत 50 इस प्रकार है:
"ऐ नबी! हमने तुम्हारे लिए तुम्हारी वो पत्नियों वैध कर दी है जिनके महेर तुम दे चुके हो, और उन स्त्रियों को भी जो तुम्हारी मिल्कियत में आई, जिन्हें अल्लाह ने ग़नीमत के रूप में तुम्हें दी।"
इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगने पर सऊदी आलिम ने सेक्स के लिए गुलामी की इजाज़त पर एक फतवा जारी किया।
सऊदी आलिम ने कहा: "इबादत सिर्फ अल्लाह के लिए है, इस्लाम मुसलमानों को चाहे उनकी बीवी या बीवियाँ हों या वो अविवाहित हो गुलाम औरतों से संभोग करने की इजाज़त देता है........ हमारे पैगम्बर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने भी ऐसा किया था और जैसा सहाबा और विद्वानों ने भी किया था।"



 

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