Islam Has No Interest In State राज्य में इस्लाम की दिलचस्पी नहीं
नास्तिक दुर्रानी, न्यु एज इस्लाम
20 अगस्त, 2013
मैं
मोहम्मद हुसैन हैकल की मशहूर किताब “मोहम्मद“ पढ़ रहा था, पेज 308 पर
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के इस पत्र का पाठ था, जो आपने कैसरे
रूम हरक़ल को भेजा था। पत्र की विषय वस्तु काफी कुछ सोचने पर मजबूर करती
है। पाठकों कृप्या ध्यान दें:
“बिस्मिल्लहिर्रहमानिर्रहीम,
मिन मोहम्मद बिन अब्दुल्ला अली हरक़ल अज़ीमुल रूम, सलाम अला मन अतबअल
हुदा, अम्मा बाद, फानी अदऊका बदआयतल इस्लाम, असलम तसलम यूतको अल्लाह अजरेका
मरतैन, फ़अन तौलैयतै फ़अनमा अलैका अस्मल अरिसीन, या अहलल किताब तआलू अला
कल्मा सवाआ बैनना वबैनकुम, अला नाबोदा एल्लल्लाहे वला नुशरिक बेहि शैआ, वला
यत्तख़ेज़ा बादना बादन बिज़ा अरबाबन मिन दूनिल्लाहे फ़इन तोवल्लव फकोलू
अशहोदू बाना मुस्लेमून“
“शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम
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