Wednesday, December 25, 2013

Terrorism and India आतंकवाद और भारत



खुर्शीद अनवर
जनसत्ता 21 दिसंबर, 2013 : मौलाना मौदूदी का पाकिस्तान को एक इस्लामी राष्ट्र के रूप में देखने का जो सपना था उसमें पारिवारिक संबंध, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मसले, प्रशासन, नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य, न्यायपालिका, युद्ध के नियम आदि सभी इस्लामी शरीआ के अनुरूप ढाला जाना था।
उन्होंने नागरिकों की दो श्रेणियां बनाई थीं। एक मुसलिम और दूसरे जिम्मी। मुसलिमों को ही हक दिया गया कि शासन-प्रशासन चलाएं, गैर-मुसलिमों को नहीं। अपनी किताब ‘मीनिंग ऑफ कुरान’ में उन्होंने लिखा, ‘‘मुसलमानों को जजिया जैसे मानवीय कानून पर गर्व होना चाहिए कि जो अल्लाह के रास्ते पर नहीं चल रहे उनको अधिकतम आजादी यही दी जा सकती है कि ऐसी (दरिद्रता की) जिंदगी गुजारें। यहूदी और ईसाई के लिए जजिया बेहद जरूरी है जिससे उनकी आर्थिक आजादी और प्रभुत्व समाप्त हो।’’ वह आगे लिखते हैं कि ‘‘राष्ट्र गैर-मुसलमानों को सुरक्षा तभी दे सकता है, जब वे दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने को तैयार हों और जजिया तथा शरीअत के कानून को मानें।’’

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