Thursday, March 20, 2014

Islam and Family Planning इस्लाम और परिवार नियोजन

अभिजीत
18 मार्च,2014
आज इस्लाम का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में चार शादियां, ज्यादा बच्चे, तलाक जैसे शब्द आ जातें हैं। अधिक बच्चों की बात में वास्तविकता है क्योंकि मुस्लिम समाज में बढ़ती आबादी आज एक समस्या बन चुकी है और इसका एकमात्र कारण है कि उनके समाज के रहबरों ने कुरान और हदीस की गलत और मनमाफिक व्याख्या  करके मुसलमानों के जेहन में यह बात डाल दी है कि अधिक बच्चे पैदा करने वाला अल्लाह के करीब हो जाता है और गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल इस्लामी तालीमों के खिलाफ है। जबकि इस्लाम की तालीमों में बिलकुल ऐसी बात नहीं है जो मुल्ला-मौलवी बतातें हैं। इस्लाम की पूरी तालीम छोटा परिवार रखने, अपने औलाद को अच्छी तरबीयत देने, उन्हें पढ़ा-लिखा कर लायक बनाने की है। आज दुनिया में इंसानों की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है, प्राकृतिक संसाधन और रहने के लिये जमीन कम होते जा रहें हैं, पानी की समस्या विकराल रुप ले रही है और महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है ऐसे में ये जरुरी है कि परिवार नियोजन के उपायों को अपनाकर खुशहाली हासिल की जाये क्योंकि अधिक जनसंख्या तरक्की की दुश्मन है जो औलाद को अच्छी तालीम, बेहतर परवरिश और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित कर देती है। यही कारण है कि हर दौर में दुनिया के तमाम धर्मो की तालीम और खुदा की तरफ से भेजे जाने वाले नबियों, अवतारों और वलियों का खुद का अमल परिवार नियोजन की ही सीख देता है। इस बात के प्रमाण धर्मग्रंथों, अंबियाओं की सीरतों और अवतारों की गाथाओं में दर्ज हैं। हिंदू धर्म में अवतारवाद की अवधारणा है और इस्लाम में नबियों की। इन सबका खुद का अमल हर मां-बाप को कम बच्चे पैदा करने और अपने औलाद की बेहतर तर्बीयत की सीख देती है। हमारे धर्मग्रंथों से ये बात साबित हैं।
 

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