Tuesday, March 6, 2012

Hindi Section
क्या इस्लाम विकास (इवोल्युशन) के अध्ययन से भी मना करता है?
Nidhal Guessoum, Professor, Physics and Astronomy, American University of Sharjah, UAE

मुसलमानों को हर जगह सभी नए विचारों के लिए अपने मन को खोलना चाहिए। वो अपने अक़ीदे (विश्वास) और नज़रिए (दृष्टिकोण) के बारे में पुरऐत्माद (आत्मविश्वास) होंगे कि वो जदीदियत (आधुनिकता) के विभिन्न पहलुओं से निपटने में मजबूत है, बेशक, नया दृष्टिकोण विश्वास और विश्व दृष्टिकोण को तरो ताज़ा करने मदद कर सकता है। इस्लाम न सिर्फ विकास (इवोल्युशन) या किसी भी अन्य दृष्टिकोण की पढ़ाई करने से मना नहीं करता है बल्कि नए इल्म का खैरमक़दम (स्वागत) करता है और उसके साथ निष्पक्ष रुख रखता है। ...

http://newageislam.com/hindi-section/नेदाल-गोसूम-(अनुवाद--न्यु-एज-इस्लाम)/क्या-इस्लाम-विकास-(इवोल्युशन)-के-अध्ययन-से-भी-मना-करता-है?/d/6782

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