Thursday, February 20, 2014

Insensitive Rulers and Terrorism in Muslim Countries मुस्लिम देशों में हिंसा पर शासकों की संवेदनहीनता






असद रज़ा
6 दिसंबर, 2013
अफगानिस्तान, इराक़, लीबिया, सीरिया, मिस्र, पाकिस्तान, सूडान, अल्जीरिया और दूसरे मुस्लिम देशों में लाखों लोग पिछले दो दशकों में हिंसा का शिकार होकर मारे गये या विकलांग हो चुके हैं। शायद ऐसा कोई दिन नहीं होता, जब किसी न किसी मुस्लिम देश मैं निर्दोष नागरिक हिंसा का निशाना नहीं बनते हों। बदक़िस्मती ये है कि मुसलमान सिर्फ गैर मुस्लिम देशों में आतंकवाद, धार्मिक शत्रुता और सांप्रदायिक हिंसा का शिकार नहीं होते, बल्कि तथाकथित इस्लामी देशों में भी वो सुरक्षित नहीं। सम्भव है आप ''तथाकथित इस्लामी देशों'' पर ऐतराज़ करें। लेकिन इस बारे में आपसे दरख्वास्त है कि बराए मेहरबानी उन मुस्लिम देशों को इस्लामी करार देने से पहले एक बार विचार करें कि जिन देशों के शासक अय्याशी के लिए यूरोप जाते हैं, शराब पीते हैं, अपनी मुस्लिम जनता के मानवीय और इस्लामी अधिकारों का हनन करते हैं, पंथ व नस्ल के नाम पर आतंकवाद को हवा देते हैं, इस्लामी देशों में बगावतें कराने की साज़िशों करते हैं, पीड़ित फ़िलिस्तीनियों और इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मन नंबर एक इसराइल से पर्दे के पीछे सम्बंध बढ़ाते हैं और उसकी हां में हां मिलाते हैं। अमेरिका, इसराइल और यूरोपीय देशों की खुफिया एजेंसियों मोसाद, सीआईए आदि की मदद से अपने पड़ोसी मुस्लिम देशों में लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटवाते हैं। खुद अपने देश में इस्लाम के विभिन्न पंथों के मानने वालों पर कठोर और अमानवीय पाबंदिया


 

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