Tuesday, January 20, 2015

Why Muslims Hate Zakir Naik so Much? आखिर मुसलमान जाकिर नाइक से इतनी नफरत क्यों करते हैं?




अगनी वीर
जाकिर भाई एम बी बी एस जो डॉ जाकिर नाइक के नाम से भी जाने जाते हैं, आज की तारीख में सबसे ज्यादा लानत पाने वाले शख्स हैं. यह लानत उन पर कोई और मजहब के लोग नहीं लेकिन खुद उनके मजहब इस्लाम के मानने वाले ही भेजते हैं. दुनिया के नामी और हिन्दुस्तान, पाकिस्तान में सबसे बड़े तालीमी इदारे (शैक्षिक संस्थान) दारुल उलूम देवबंद ने कुछ अरसा पहले जाकिर भाई के खिलाफ फतवा लगाया है. इसमें कोई शक नहीं कि जाकिर भाई पिछले कुछ साल में मजहबी बाजार में सबसे ज्यादा कीमत पाने वालों में से एक हैं. वे खुद को इस्लाम का खिदमतगार (सेवक) बताते हैं और दावा करते हैं कि वे नए लोगों तक इस्लाम को पहुंचाते हैं. खुद को अल्लाह और मुहम्मद का अदना खिदमतगार कहते हैं. खुद को इस्लाम और दीगर मजाहिब (दूसरे धर्मों) का आलिम (विद्वान) भी कहते हैं! पर फिर भी उन पर सबसे ज्यादा लानत भेजने वाले और नफरत करने वाले मुसलमान ही हैं. इस लेख में हम उन वजूहात (कारणों) की तहकीक करेंगे कि जिससे जाकिर भाई मुसलमान भाइयों की नजरों में पहले शख्स हैं जो जहन्नम में भेजे जायेंगे! अधिक जानने के लिए गूगल पर “we hate zakir naik” डालें और देखें.
यहाँ हमारे पढने वालों के लिए इस्लाम का थोड़ा राफ्ता (परिचय) कराना जरूरी है. अधिकतर लोग यह समझते हैं कि इस्लाम वह मजहब है जो कि मुहम्मद (सल्लo) ने फैलाया और जो कुरान में लिखा है. कुरान कहती है कि जो आदमी मुहम्मद (सल्लo) के कहे पर ईमान लाएगा वह जन्नत में जाएगा जहां उसे बहुत सी जवान लड़कियां (जिनके हुस्न और बदन की खूबियाँ हदीसों और दूसरी इस्लाम की पाक किताबों में मिलती हैं, मसलन उनका जिस्म शीशे की तरह आरपार दिखाई देने वाला, आँखें मोटी, छाती…. वगैरह वगैरह), बहुत से मोतियों के मानिंद लड़के जो जन्नत में शराब के प्याले लिए अपने मालिक की शान में सदा फिरते रहेंगे, शराब के दरया और पंछियों का गोश्त और भी बहुत कुछ. कुरान पर अमल करने की बात वैसे तो देखने में सीधी लगती है पर यह इतनी सीधी है नहीं. ऐसा इसलिए कि केवल यह कह देने से कि कुरान पर अमल करो, काम नहीं चलता. हर आलिम अपने तरीके से कुरान के मतलब निकालता है और यही वजह है कि कुरान एक मानने पर भी मुसलमानों में आज बहत्तर (७२) से भी ज्यादे फिरके (वर्ग) हैं. हरेक फिरका खुद को असली इस्लाम और दूसरों को दोजखी (नरकगामी) करार देता है. पैगम्बर मुहम्मद (सल्लo) की कुछ हदीस हैं जो अबू दाउद और तिरमिधि में मिलती हैं जो इस तरह है-
अबू दाउद, किताब 40, हदीस 4579: नबी ने फरमाया कि यहूदी इकहत्तर या बहत्तर (७१ या ७२) फिरकों में बंट गए. ईसाई भी बहत्तर फिरकों में बंटे. मेरी उम्मत तिहत्तर (७३) फिरकों में बंटेगी. “
तिहत्तर फिरकों में से केवल एक फिरका ही सच्चा है जो जन्नत में जाएगा, बाकी सब जहन्नम की आग में जलाए जायेंगे.” [तिरमिधि और अबू दाऊद]
तो मसला अब यह है कि मुहम्मद (सल्लo) की बात झूठी नहीं हो सकती और इसलिए इस्लाम में मौजूद आज तिहत्तर फिरकों में से बहत्तर तो काफिरों के साथ ही दोजख की आग में जलेंगे. तो यही वजह है कि इस्लाम के फिरके सुन्नी, शिया, वहाबी, सूफी, कादियानी और इसी तरह न जाने कितने ही फिरके अपने को सच्चा और बाकी ७२ को झूठा साबित करने मिल लगे रहते हैं. हालांकि कुछ फिरके काफिरों पर भी गम खाने वाले हैं और उन्हें भी जन्नत नसीब होने की ख्वाहिश करते हैं लेकिन ये बहुत थोड़े हैं. अधिकतर तो वे ही हैं जो काफिरों को अल्लाह और रसूल का दुश्मन समझ कर उन पर लानत भेजते हैं. वे केवल ऐसा कहते नहीं, लेकिन बमबारी करके जताते भी हैं. काफिर को तो छोड़ें, आज मुस्लिम दुनिया में अधिकतर जगहों पर जबरदस्त फिरकापरस्ती (सम्प्रदायवाद) है जैसे कि पाकिस्तान में आये दिन कभी कादियानियों की मस्जिद उड़ा दी जाती है तो कभी शिया नमाजियों को सरे आम भून दिया जाता है.
पर देखिये! फिरकों में बंटी और लगातार बंटती जा रही मुस्लिम उम्मत के इस हाल पर भी जाकिर भाई इस्लाम को “सबसे तेज फैलता हुआ मजहब” (fastest growing religion) करार देते हैं! वैसे उन्होंने आजतक यह नहीं बताया कि वह सच्चा फिरका कौन सा है जिसकी तरफ मुहम्मद (सल्लo) का इशारा था. खैर, इस्लाम में फिरकापरस्ती हमारे इस लेख का मौजू (विषय) नहीं. इस्लाम के ७३ फिरकों में सबसे इन्तेहापसंद (अतिवादी) और दहशतगर्द (आतंकवादी) फिरका वहाबी है.यह फिरका अपने वजूद में आने से (अट्ठारहवीं सदी) लेकर आज तक बड़े बड़े दहशतगर्दों जैसे ओसामा बिन लादेन, अल कायदा को पैदा करने के लिए जाना जाता है. इस्लाम के असली मायने “शांति=अमन” का अगर किसी फिरके ने सबसे ज्यादा मजाक बनाया है तो यह वहाबी ही है. जाकिर भाई का ताल्लुक इस फिरके से ही बताया जाता है. लेकिन यहीं पर बस नहीं है! जाकिर भाई वहाबी रिवायतों में कभी कभी ऐसे फिरकों की रिवायतों के तड़के भी लगा दिया करते हैं कि हांडी लजीज होने के बजाये कड़वी हो जाती है! अपनी इस नयी हांडी का नाम वे इस्लाम रखते हैं लेकिन असल में उनके इस खेल ने इस्लाम की धज्जियां उड़ा के रख दी हैं. और इस वजह से अब इस्लाम के सब बड़े बड़े फिरके उन पर फतवे दे चुके हैं. दारुल उलूम देवबंद, शिया, कादियानी सब के सब कह चुके हैं कि जाकिर नाइक को इस्लाम का दावा करने का हक़ ही नहीं है. यह सब कैसे हुआ, एक एक करके देखते हैं कि कैसे जाकिर भाई ने बड़ी चालाकी से अपने नाम के लिए इस्लाम का मजाक उड़ाया यहाँ तक कि पैगम्बर मुहम्मद (सल्लo) की सारी दुनिया में हंसी उडवाई.
Source: http://agniveer.com/hate-zakir-hi/

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