Friday, April 11, 2014

Salman Taseer's Brutal Murder: Was it an Opportunity of to Introspect? सलमान तासीर की जधन्य हत्या: क्या आत्मचिंतन का मौका था?





अभिजीत, न्यु एज इस्लाम
10 अप्रैल, 2014
2011 की शुरुआत! जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया में अमन और खुशहाली से भरे नये साल के सपने संजोए जा रहे थे, लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों और हितचिंतकों को ये शुभकामनायें दे रहे थे कि ये बर्ष उनके लिये सुख, समृद्धि, तरक्की और अमन का साल हो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में मध्ययुगीन संस्कृति का नंगा नाच चल रहा था।
एक तरफ वहां के एकमात्र ईसाई मंत्री और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज बुलंद करने वाले शहबाज भट्टी की कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी थी वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गर्वनर सलमान तासीर को कोहसार बाजार में उनके अंगरक्षक मलिक हुसैन कादरी ने गोलियों से भून डाला था ।
वो भी महज इसलिये कि मशहूर शायर फैज अहमद फैज के भतीजे सलमान उस इस्लाम का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश कर रहे थे जो कट्टरपंथियों की नजर में कुफ्र है। इस्लाम के उदारवादी स्वरुप के इस प्रतिनिधि को अपनी शहादत इसलिये देनी पड़ी क्योंकि उन्होंनें  पाकिस्तान के 'हुदुद अध्यादेश' के तहत अपराध करने वाली ईसाई महिला असिया बीबी के समर्थन में कुछ शब्द कहे थे और उसके प्रति अपनी सहानुभूति दर्शाई थी। वहीँ शहबाज का कसूर ये था कि एक इस्लामी मुल्क में गैर- मुस्लिम होते हुये भी उन्होंनें अपने समुदाय वालों के साथ-साथ एवम् पाकिस्तान के बाकी   अल्पसंख्यकों और स्वयम् मुसलमानों के लिये परेशानी और जिल्लत का सबब बने ईशनिंदा कानून की मुखालफत करने की जुर्रत की थी। 
 

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