Tuesday, April 8, 2014

Britain's Shariah Alarm Bell ब्रिटेन में शरीयत की दस्तक

डॉ. नेसिया शेमर
25 मार्च, 2014
इस सप्ताह हमें मालूम चला कि ब्रिटेन अपनी कानूनी संस्थाओं में शरीयत के उत्तराधिकार कानून को शामिल करेगा ताकि वकील इस्लामी कानून पर आधारित वसीयत को लिखने में सक्षम हो सके। इस कदम से औरतों, गैर मुस्लिमों और गोद लिए गए बच्चों के उत्तराधिकार को निरस्त माना जायेगा।
ये कदम पश्चिमी देशों के लिए एक दूरगामी इस्लामी दृष्टिकोण का हिस्सा है। यद्यपि लंबे समय के लिए नहीं है, लेकिन कम से कम पूरी दुनिया को मुस्लिम बनाने के आदर्श के अनुसार परंपरागत इस्लामी मान्यता पूरी दुनिया दो भागों में विभाजित करती है: ''दारुल इस्लाम" (इस्लाम का घर) वो प्रदेश जो मुसलमानों द्वारा नियंत्रित हों, और "दारुल हरब" (युद्ध का घर) वो क्षेत्र जो काफिरों के द्वारा नियंत्रित हों। जबकि अतीत में दुनिया के बड़े हिस्से पर इस्लाम का शासन था लेकिन 19वीं सदी के अंतिम भाग और 20वीं सदी के प्रारम्भ में पश्चिमी देशों के उत्थान से ये खत्म हो गया। मुसलमान पश्चिमी देशों की प्रगति की तेज़ रफ्तार से कदम नहीं मिला सके और उनकी हीनता के आलोक में ये स्पष्ट हो गया कि मुस्लिम वैश्विक प्रभुत्व की दृष्टि मंद हो रही थी।
पिछले दो दशकों के दौरान आधुनिक इस्लाम में एक नई विचारधारा ने जन्म लिया है जिसका इरादा पश्चिम में रहने वाले हर पांच मुसलमानों में से एक की चुनौती का सामना करना है जहां स्थिति काफिरों पर इस्लाम के शासन की बजाय इसके विपरीत है। इस समस्याग्रस्त स्थिति ने एक नई शब्दावली की स्थापना के लिए प्रेरित किया है। ''दारुल इस्लाम' और 'दारुल हरब" का ज़माना गया उसकी जगह 'आलामित अलइस्लाम'' या ''ग्लोब्लाईज़्ड इस्लाम' ने ले लिया है। इस नई शब्दावली के अनुसार पश्चिमी काफिरों के शासन के तहत रहने वाले मुसलमान के मामले में इस्लामी कानून को कोई समस्या नहीं है। इसके बजाय इसे एक ज़िम्मेदारी और यहाँ तक कि एक वरदान करार दिया है। आज की दुनिया में हिंसा से जीत हासिल करने का रिवाज नहीं रहा जैसा कि प्रसिद्ध कहावत "मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का निर्णय तलवार से होता है", में निर्धारित है, लेकिन आज मीडिया, इंटरनेट, जनता की राय, कानूनी और अर्थव्यवस्था द्वारा विजय प्राप्त की जाती है।
 

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